महाविद्या, देवघर लगातार 18 वर्षों से झारखण्ड की सांस्कृतिक राजधानी, देवघर में इस क्षेत्र के छात्रों, सुधी पाठकजनों एवं लोगों में पुस्तक पढ़ने की ललक बढ़ाने, पुस्तकालय को बढ़ावा देने, शिक्षा-संस्कृति के वातावरण को समृद्ध करने के मूल उद्देश्यों को लेकर पुस्तक मेला का सफल आयोजन कर रही है। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए आगामी 11 से 21 जनवरी 2025 को 22वां देवघर पुस्तक मेला का आयोजन किया जा रहा है।
महाविद्या संस्था की नींव 1996 में डा. सुभाष चन्द्र राय जो सम्प्रति विश्वभारती शांतिनिकेतन में हिन्दी के प्राध्यापक हैं, ने देश के विभिन्न प्रान्तों के विद्वतजनों के साथ मिलकर डाला था जिसका मुख्य उद्येश्य देवघर, झारखण्ड सहित देश के विभिन्न प्रान्तों में शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक माहौल को बढ़ावा देना और सुदृढ़ करना था।
वर्तमान समय में देवघर पुस्तक मेला झारखण्ड में एक प्रमुख शैक्षणिक महोत्सव के रूप में पहचान बना चुका है तथा झारखण्ड की सांस्कृतिक राजधानी देवघर का मुख्य वार्षिक उत्सव बन गया है जिसका पूरे संताल परगना वासियों को प्रतीक्षा रहती है। इस मेला को समृद्ध एवं संबल बनाने में पिछले 10 वर्षों से मेला के मुख्य संरक्षक के रूप में यहां के माननीय सांसद डाॅ. निशिकान्त दूबे जी का अमूल्य योगदान रहता है। डा. निशिकान्त दूबे जी अपने सांसद निधि से वर्ष 2009 से लगातार लाखों की पुस्तकें खरीद कर अपने क्षेत्र के विद्यालय, महाविद्यालय और पुस्तकालय को समृद्ध बना रहे हैं। अब तक लगभग एक करोड़ बीस लाख की पुस्तकें सांसद निधि से खर्च कर इन्होंने देश के अन्य सांसदों के समक्ष एक उदाहरण पेश किया है।
संरक्षक के रूप में देवघर विधान सभा के विधायक सुरेश पासवान तथा देवघर के उपायुक्त एवं पुलिस अधीक्षक का आत्मीय एवं शासनिक सहयोग भी सराहनीय रहता है।
पुस्तक मेला के दौरान पुस्तक प्रदर्शनी के अलावे प्रतिदिन पूर्ण रूप से शैक्षणिक कार्यक्रम जैसे - युवाओं के लिए योग और ध्यान, अन्तर विद्यालय प्रतियोगिता, सामयिक इवेन्टस, कैरियर मार्गदर्शन, साहित्य, शैक्षणिक एवं समकालीन परिचर्चा तथा संध्याकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।
परंपरागत रूप से देवघर पुस्तक मेला में प्रत्येक वर्ष देश में साहित्य एवं लेखन में अपनी सेवा दे रहे दो लब्ध प्रतिष्ठित विद्वानों को ‘भाषा-सेतु’ एवं ‘साहित्य-सेवी’ सम्मान से अलंकृत किया जाता है। ‘‘भाषा-सेतु’’ सम्मान अहिन्दी क्षेत्र में हिन्दी साहित्य लेखन एवं उसके प्रचार-प्रसार में उल्लेखनीय योगदान के लिए जबकि ‘‘साहित्य-सेवी’’ सम्मान वैसे किसी नामचीन व्यक्ति को जो मूलतः साहित्य, लेखन एवं शिक्षण कार्य के इतर किसी अन्य क्षेत्र में सेवा देते हुए भी साहित्य एवं लेखन में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जाता है। इसके अतिरिक्त देश के किसी विशिष्ट सांस्कृतिक हस्ती को ‘नटराज सम्मान’ से विभूषित किया जाता है। ये तीन पुरस्कार - भाषा-सेतु, साहित्य-सेवी एवं नटराज सम्मान देवघर पुस्तक मेला में दिया जाने वाला अत्यन्त ही प्रतिष्ठित एवं सम्मानित पुरस्कार के रूप में अपनी पहचान बना चुका है।
पुस्तक मेला से क्षेत्र के स्कूल एवं काॅलेज को सीधे जोड़ने का प्रयास किया जाता है। विद्यालयों के लिए मेला में मुफ्त प्रवेश की व्यवस्था रहती है। युवाओं के लिए पूर्णकालिक रियायती पास की व्यवस्था तथा उनके अनुकूल कार्यक्रम निर्धारित किये जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को भी मेला से जोड़ने की विशेष व्यवस्था करने की कोशिश रहती है।